
मै उसकी आँखों में इस तरह से खो जाया करता था…
वो सुनती थी दिन भर के किस्से और मै उसके कंधे को सिरहाना मान कर सो जाया करता था
रहना यूँ तेरे ख्यालों में…
ये मेरी आदत हैं,
कोई कहता इश्क
कोई कहता इबादत हैं…
मुबारक हो तुमको यह शादी तुम्हारी
सदा खुश रहो तुम दुआ है हमारी
तुम्हारे क़दम चूमे यह दुनिया सारी
सदा खुश रहो तुम ये दुआ हमारी
वो देखा करती थी मेरे चेहरे को ऐसे…
जैसे कोई माँ अपने बच्चे को निहारती है….

तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे
तेरे हाथों की मेहँदी महकती रहे
तेरे जोड़े की रौनक सलामत रहे
तेरी चूड़ी हमेशा खनकती रहे
जितने प्यार से वो संवारती थी मेरे माथे पे बालों को…
अब नही कोई संवारती है
मोहब्बत बिल्कुल शतरंज की खल जैसी हैं,
सिर्फ़ एक गलत चाल और सीधे शादी
नज़रे उतारती थी बालाएं भी लिया करती थी….
चूम कर मेरा माथा वो मुझे दुवाएँ भी दिया करती थी

मेरी मुस्कुराहटों पर उसने अपना जीवन वार दिया था…
माँ के बाद वो पहली लड़की थी जिसने मुझे इतना प्यार दिया था…
तेरे शादी पर मैं ने शायरी लिखी हैं
आज तो ध्यान से सुना कर
शायरी छोड़, जाकर शादी की तैयारी कर
मै समंदर के किनारे की तपती धूप सा और वो बर्फ की ठंढी सिल्ली सी थी….
बेशक मुझे डांटती थी मेरी माँ की तरह पर अपने घर में भीगी बिल्ली सी थी
दुल्हन बनकर एक दिन तू जा रही होगी,
तेरे हाथों में मेहँदी भी रची होगी,
उस दिन तेरी आँखों में मेरे लिए प्यार तो नही होगी,
पर उस दिन के बाद तू भी मेरे लिए रो रही होगी…

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